आज कुछ नया करने को मन किया तो कुछ लिख रहा हूँ , इस उम्मीद से नहीं की आपको पसंद आएगा बल्कि इसलिए शायद कुछ नया हो जाये जो मैं चाहता हूँ । चलो यहाँ से शुरू करता हूँ । मेरा नाम पवन पंडित हैं और मैं एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ और साथ -साथ हल्की -फुलकी शायरी करता हूँ लेकिन कट्टर समाजवादी हूँ मेरा मतलब सिर्फ सामाजिक सुधार से है अन्यथा न लें। बस इतना ही। हाँ बिलकुल इतना ही। 

पिछले कई दिनों से मैंने अपनी एक अलग दिनचर्या बना ली है , मेरा समय ज्यादातर सोशल मीडिया और फ़िल्में देखने में ही गुजरता है बल्कि पूरा समय मैं सिर्फ और सिर्फ यही करता हूँ इसके अलावा कुछ नहीं । 

आज कल मैं फ़ोन कॉल भी कम लेता हूँ और काम तो बस याद ही नहीं आता। इसके विपरीत पहले मेरा सारा दिन पूरी व्यस्तता और मेरी दिनचर्या कई हिस्सों में बिलकुल समांतर बटी हुवी थी सब कुछ सही था और सामान्य भी। आज मैं यही सोचने बैठा हूँ कि ये सब हो क्या रहा है। जरा रुको आप कुछ और समझे उससे पहले मैं खुद बता देता हूँ कि मैं किसी बीमारी के बारें में आपको परिचय नहीं करवा रहा बस वही बताना चाहता हूँ जो मैंने आज महसूस किया है , मैं चाहता हूँ मेरी इस बात को आप ध्यानं से पढ़े,सुने और समझे। मुमकिन है इसी बात पर आने वाले समय में बड़े -बड़े शोध हों और बिना दर्द , तकलीफ और दुःख के जीवन जीने के तरीके की बात आम हो जाये। मूल बात यह है जिसको बताने के लिए मैंने ये सब लिखा हैं , आज आधी से ज्यादा दुनिया जो सोशल मीडिया में चली गयी है जिसमें जयादा तादात युवाओं की हैं असल में वो एक मायाजाल में चली गयी है। वो बिलकुल भी वास्तविक नहीं। हर एक नाम ,हर एक इमोशन, हर एक वो याद जो हमें उससे जोड़ती है वो सब कुछ काल्पनिक है। वास्तविकता से कोसों दूर। सच कुछ भी नहीं। ये सब एक प्रोग्राम दवारा संचालित और निर्मित है और हम सब उस प्रोग्राम का हिस्सा हैं शायद हमें पता भी नहीं । पहले -पहले हमें ये आज़ादी जरूर मिलती है की जो बनना चाहतें हैं वो बन सकते हैं ,कोई भी नाम रख सकते हैं ,कोई भी अन्य पहचान और अपना लिंग भी बदल सकते हैं। अपनी मर्जी के दोस्त , अपनी पसंद का शहर यानि वो सब हम अपना सकतें है जो असल जिंदगी में जिसे पाने के लिए सालों लग जाएँ लेकिन फिर भी मिल ही जाये पक्का नहीं। लेकिन यहाँ ये सब आपको बस एक चुटकी बजाने जितना मुश्किल है और वो हर कोई बजा सकता है। शुरू-शुरू में इसमें आपको मजा आता है और कुछ ओर करने की खास रोक टोक भी नहीं होती लेकिन जैसे - जैसे समय बीतता है फिर आप पर इस मायाजाल के सारे सख्त से सख्त नियम लागु कर दिए जाते हैं अब आपकी यही दुनिया है और बाहर की दुनिया आपकी नहीं है। और बाहर की दुनिया में ज्यादा आने जाने की मनाही होती है जब भी आप दूसरी दुनिया के सम्पर्क में जाते हैं तो आपको सबकुछ बताकर जाना होता है कहाँ जा रहें हैं, किस काम से,कितनी देर रहेंगे और साथ में कौन जा रहा है और कब वापस आएंगे इत्यादि और आते ही आपको सबूत के तौर पर कोई चल चित्र भी पेश करने होते हैं। यह माया जाल इतना परफेक्ट है कि यहाँ किसी भी गड़बड़ की कोई गुंजाइस नहीं है , इतना सटीक कि यहाँ आप वो सब कर सकते हैं जो असल में करना चाहते थे और वो सब भी जो आप नियमित करते थे मसलन लड़ाई,प्यार,रोजगार,बातचीत और न जाने क्या क्या मतलब सब कुछ और मजे की बात यह है कि आपको यहाँ हर चीज़ का स्वाद असली से ज्यादा मिलता है अब आप इसी को असली मान बैठे हैं और भविष्य भी लेकिन सच तो यह है कि ये सब बनावटी है हर एक चीज़ जादुई है एक प्रोग्राम से चलती है कुछ भी सच नहीं। सब कुछ काल्पनिक है केवल अहसास है असली के जैसा। किसी न किसी को इसके अंदर जाकर असलियत की दुनिया से जोड़ना होगा और इस प्रोग्राम को नष्ट करना होगा। लेकिन क्या आप मेरी बात को मानेगें ..

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