दिल्ली। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नारायणा विहार, दिल्ली की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल दिनांक 21 सितम्बर 2016 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडे से मिला | प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व श्री अतुल कोठारी, राष्ट्रीय सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने किया | प्रतिनिधिमंडल में अन्य सदस्य श्री जुगल किशोर शर्मा, श्री नाहर सिंह वर्मा, डॉ वृषभ जैन, श्री संजय स्वामी, श्री पूर्णेंदू मिश्र तथा डॉ राकेश कुमार रहे | प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा से जुड़े मामले जैसे की मात्र भाषा में शिक्षा, अंग्रेजी को भारतीय भाषाओं के अपेक्षा दी गयी वरीयता, नयी शिक्षा नीति में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा आदि विषयों पर चर्चा की | प्रतिनिधि मंडल ने नयी शिक्षा नीति के प्रारूप में स्कूल प्रणाली में भौतिक विस्तार के स्थान पर स्कूल शिक्षा के विकास में समग्रता से विद्यालयों का एकीकरण, चार वर्ष का शिक्षक शिक्षा पाठ्यक्रम, आदिवासी क्षेत्रों के लिए दिया गया शिक्षक शिक्षा का वैकल्पिक मॉडल जैसे सुझावों का स्वागत किया| ऐसी मांग की गयी कि कक्षा 5 तक, सरकारी एवं निजी दोनों प्रकार के विद्यालयों में मातृभाषा का माध्यम अनिवार्य हो| प्रत्येक बालक ‘गुणवत्तापूर्ण-जीवन जीने के मौलिक अधिकार’ के परिप्रेक्ष्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का अधिकारी है। अतः सभी शैक्षिक संस्थाओं में गुणवत्ता के समान स्तर के मानकों को सुनिश्चित करने हेतु, समाज की सहभागिता पर बल देते हुए, विशेष योजना के अन्तर्गत ‘तंत्र’ विकसित किया जाए। सभी स्तरों पर शिक्षा की पाठ्यचर्या राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय आवश्यकताओं से जुड़ी हो। वर्तमान में घोषित दो वर्ष के शिक्षक-शिक्षा (बी.एड., एम.एड.) के पाठ्यक्रम पर तुरंत रोक लगाते हुए नूतन पाठ्यक्रम हेतु समिति का गठन किया जाए जिसमें सभी आधारभूत विषयों का समावेश हो तथा अतीत के शैक्षिक विकास तथा देशज शिक्षा को समझने पर बल हो। इन सभी मांगो को लेकर नयी शिक्षा नीति पर न्यास की ओर से लिखित रूप से टिपण्णी तथा सुझाव भी दिए गए | डॉ महेंद्र नाथ पांडे ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को गौर से समझा और न्यास के काम से सराहते हुए सभी संभव कदम उठाने का भरोसा जताया |
दिल्ली। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नारायणा विहार, दिल्ली की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल दिनांक 21 सितम्बर 2016 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडे से मिला | प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व श्री अतुल कोठारी, राष्ट्रीय सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने किया | प्रतिनिधिमंडल में अन्य सदस्य श्री जुगल किशोर शर्मा, श्री नाहर सिंह वर्मा, डॉ वृषभ जैन, श्री संजय स्वामी, श्री पूर्णेंदू मिश्र तथा डॉ राकेश कुमार रहे | प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा से जुड़े मामले जैसे की मात्र भाषा में शिक्षा, अंग्रेजी को भारतीय भाषाओं के अपेक्षा दी गयी वरीयता, नयी शिक्षा नीति में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा आदि विषयों पर चर्चा की | प्रतिनिधि मंडल ने नयी शिक्षा नीति के प्रारूप में स्कूल प्रणाली में भौतिक विस्तार के स्थान पर स्कूल शिक्षा के विकास में समग्रता से विद्यालयों का एकीकरण, चार वर्ष का शिक्षक शिक्षा पाठ्यक्रम, आदिवासी क्षेत्रों के लिए दिया गया शिक्षक शिक्षा का वैकल्पिक मॉडल जैसे सुझावों का स्वागत किया| ऐसी मांग की गयी कि कक्षा 5 तक, सरकारी एवं निजी दोनों प्रकार के विद्यालयों में मातृभाषा का माध्यम अनिवार्य हो| प्रत्येक बालक ‘गुणवत्तापूर्ण-जीवन जीने के मौलिक अधिकार’ के परिप्रेक्ष्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का अधिकारी है। अतः सभी शैक्षिक संस्थाओं में गुणवत्ता के समान स्तर के मानकों को सुनिश्चित करने हेतु, समाज की सहभागिता पर बल देते हुए, विशेष योजना के अन्तर्गत ‘तंत्र’ विकसित किया जाए। सभी स्तरों पर शिक्षा की पाठ्यचर्या राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय आवश्यकताओं से जुड़ी हो। वर्तमान में घोषित दो वर्ष के शिक्षक-शिक्षा (बी.एड., एम.एड.) के पाठ्यक्रम पर तुरंत रोक लगाते हुए नूतन पाठ्यक्रम हेतु समिति का गठन किया जाए जिसमें सभी आधारभूत विषयों का समावेश हो तथा अतीत के शैक्षिक विकास तथा देशज शिक्षा को समझने पर बल हो। इन सभी मांगो को लेकर नयी शिक्षा नीति पर न्यास की ओर से लिखित रूप से टिपण्णी तथा सुझाव भी दिए गए | डॉ महेंद्र नाथ पांडे ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को गौर से समझा और न्यास के काम से सराहते हुए सभी संभव कदम उठाने का भरोसा जताया |
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