विवेक शर्मा, जुलाई, 2022, दिल्ली : उत्तराखंड ने देश ही नहीं
दुनिया भर में एक अलग पहचान बनाई है चाहे वह जड़ीबूटियां हो संस्कृति हो देवी
देवताओं के धाम हों कुछ वर्ष पहले एक कुमाउनी गीत पश्चमी देशों में भी चर्चित हुआ
गीत था ‘ बेडू पाको बारा मासा बेडू यानि पहाड़ी अंजीर जो साल भर पकाता है यह कुमाऊं
रेजीमेंट का आधिकारिक गीत भी है।
बेडू एक जंगली पहाड़ी फल है जिसे अब पिथौरागढ़ जिले में अब जैम, जूस व चटनी के लिए एक अलग
अवतार में तैयार किया गया है; और इसमें
सबसे बड़ा योगदान है जिले के डीएम आशीष चौहान का | कंट्री एंड पॉलिटिक्स के संपादक विपिन गौड़ से बात
करते हुए, पिथौरागढ़
के डीएम आशीष चौहान ने कहा, “बेडू जो
एक प्रकार का अंजीर है जो कई स्वास्थ्य लाभ देता है, उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा का हिस्सा रहा
है। हमने इन उत्पादों को व्यावसायिक स्तर पर बाजार में उतारा है जिससे स्थानीय
लोगों के लिए रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी। यह भारत के लोगों के लिए राज्य की
प्राकृतिक बहुतायत, संस्कृति
और परंपरा का एक टुकड़ा भी पूरा करेगा।”
पिथौरागढ़ के फातसिलिंग गाँव की रेखा देवी, जो फल की कटाई, रस निकालने, प्रसंस्करण और जैम और चटनी
बनाने की पहल में सक्रिय रूप से शामिल रही हैं, कहती हैं, “हम बेडू
का सेवन ऐसे ही करते थे और कभी नहीं सोचा था कि हम बेडू से जैम जूस व चटनी भी बना
सकते है और अपनी आए में भी वृद्वि कर सकते है | अब, हम उन
तरीकों से अवगत हैं जिनसे हम फलों की फसल से अच्छा पैसा कमा सकते हैं।”
जंगली हिमालयी अंजीर उत्तराखंड के जंगलों और गांवों में आसानी से
मिलता है और ज्यादातर सडकों पर गिर के ख़राब हो जाता है । इसने तंत्रिका तंत्र
विकारों के उपचार, रक्त की
सफाई, उच्च रक्तचाप का इलाज, यकृत रोग, कब्ज, फेफड़े के विकार और मूत्र
संबंधी रोगों जैसे स्वास्थ्य लाभ भी किए। केवल फल बल्कि पूरे पौधे का उपयोग किया
जाता है, जो कई
बीमारियों की रोकथाम में सहायक होता है। यह एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट भी है, जिसका उपयोग कई बीमारियों
को ठीक करने में भी किया जाता है।
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