यूपी सरकार द्वारा कैराना मामले की जांच के लिए नियुक्त पांच संतों की कमेटी ने तैयार की अपनी रिपोर्ट , कहा है कि
उत्तर प्रदेश को
सांप्रदायिक दंगो की आग में जलाने की साजिश की गई है। जांच कमेटी ने अपने 20 पन्नों की रिपोर्ट में 10 सुझाव के साथ चेतावनी भी दी है और कहा कि अगर इन सुझावों पर तत्काल अमल नही किया तो यूपी दंगों की आग में भड़क सकता है।
आपको बता दे कि रिपोर्ट में यह कहा गया है कि हुकुम सिंह जब कैबिनेट मंत्री थे, उस वक्त 121 परिवारों ने कैराना से पलायन किया था और साथ ही रिपोर्ट के मुताबिक कुल 150 परिवारों ने पूर्व डीजीपी और बीजेपी जांच कमेटी के सदस्य बृजलाल के कार्यकाल के दौरान पलायन किया था। इससे स्पष्ट होता है की कमेटी ने बीजेपी को भी निशाने पर लिया है
कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में यह भी कहा है कि पिछले कुछ दिनों हुई फायरिंग में जो अपराधी शामिल हैं वे हिंदू हैं और उन्हें शह देने वाले नेता भी हिंदू हैं , इतना ही नहीं कमेटी ने रिपोर्ट में कहा है कि इन सब में सपा के भी कुछ नेता शामिल हैं।
इन सब बातो को ध्यान में रखते हुए कमेटी ने एक ऐसा मंत्रालय/विभाग बनाने का सुझाव दिया जो सांप्रदायिक तनाव के मामलों की निगरानी करे और सीधे सीएम को रिपोर्ट दे। संतो के रिपोर्ट में रंगदारी और अपराध का भी ज़िक्र और इसके लिए स्थानीय प्रशासन को ज़िम्मेदार ठहराया गया है। रिपोर्ट में प्रशासनिक ढीलापन और राजनीतिक संरक्षण का भी ज़िक्र किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी भी हिंदू ने मुसलमानो के ज़ुल्म की बात नही कही है।
संतों के जांच दल में आचार्य प्रमोद कृषणनन, स्वामी कल्याणदेव, स्वामी चिन्मयानंद, स्वामी चक्रपाणि और स्वामी देवेंद्रानंद शामिल हुए । खबरों के मुताबिक ये गुरुवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलकर अपनी रिपोर्ट देंगे।
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